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11/06/2020

बिना पूरा(PURA) के आत्मनिर्भर भारत कैसे ?

बिना पूरा(PURA) के आत्मनिर्भर भारत कैसे ?

                                                                                     डॉ.हेमंत पंड्या

                         आजादी के बाद से ही बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों की स्थापना और पश्चिम के अंधानुकरण को ही विकास का पर्याय मान लिया गया हैं। जिसका परिणाम प्रवासन,भीड़-भाड़ युक्त नगर, शहरीकरण, प्रदूषण और असंतुलित विकास के रूप में प्रत्यक्ष हैं ।कोरोना और उसके बाद लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर श्रमिक पलायन और अर्थव्यवस्था की मंदी ने विकास के इस खोखले मॉडल को बेनकाब करने का कार्य किया है। आजादी के सत्तर वर्षों के बाद भी गरीबी, बेरोजगारी, प्रवासन, भीड़-भाड़ युक्त महानगर और लाचार श्रमिक अविकसित ग्राम विकास के वर्तमान मॉडल के परिणाम हैं ।ग्रामीण भारत के संसाधनो के अनियोजित शोषण और अवहेलना पर बना वर्तमान का नगरीय विकास का यह मॉडल सोचने के लिए विवश कर रहा है । विकास के नाम पर मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली जैसे कुछ टापुओं का ही विकास किया जा रहा हैं । शेष भारत की लाखो एकड़ जमीन को अविकसित छोड़ दिया गया है।यही असंतुलित विकास और विकास की गलत अवधारणा वर्तमान की समस्याओं की जड़ है।  इन समस्याओं को सुलझाए बिना आत्मनिर्भर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है।

                              वर्तमान की विकास की परिभाषा पर्यावरण विरोधी और असमानता को जन्म देने वाली हैं ।  संसाधनों के शोषण पर आधारित इस व्यवस्था ने गरीबी और अमीरी के भेद को बढ़ाने का कार्य किया है।  कोरोना और उसके बाद उपजी परिस्थिति ने गलतियों को सुधार कर वास्तविक विकास की नीतियों को निर्धारित करने का अवसर प्रदान किया हैं । ग्रामीण  भारत का विकास कर विकास के असंतुलन कोसमाप्त  किया जा सकता हैं । ग्रामीण क्षेत्रो के विकास से बेरोजगारी, गरीबी और श्रमिक पलायन की समस्या का भी स्थाई समाधान हो जायेगा ।

                                               पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे कलाम ने कहा था की बिना गाँवो के विकास के  विकसित भारत सम्भव नहीं हैं ।उनके अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा,चिकित्सा,रोजगार व आधुनिक सुविधाओं का विस्तार करना वर्तमान की आवश्यकता हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ.ए.पी.जे कलाम ने ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए ‘पूरा' (Providing Urban Amenities in Rural Area) की अवधारणा  प्रस्तुत की थी। उन्होंने ‘विजन-2020' में नगरों की भांति ग्रामीण क्षेत्रों में भी आधारभूत ढांचा विकसित कर भारत को एक विकसित देश बनाने का रोडमैप प्रस्तुत किया था । 2004 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एशियाई विकास बैंक के सहयोग से सात पायलट पूरा प्रोजेक्ट प्रारंभ किए थे । परंतु विकास की नगरीय संकल्पना, राजनीतिकरण,भ्रष्टाचार, अफसरशाही और लाल फीताशाही ने विकास की इस महत्वपूर्ण पहल को असफल होने के लिए मजबूर किया।2012 में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री श्री जयराम रमेश ने पूरा की असफलता को स्वीकार करते हुए PPP(निजी सार्वजनिक सहभागिता) आधारित इसका नया स्वरूप लांच किया था ।  परन्तु वह भी सफल नहीं रहा । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी रुर्बन मिशन Shyama Prasad Mukherj। Rurban Mission (SPMRM)  को 2016में शुरू किया हैं । जिस 300 क्लस्टरो को चिन्हित किया गया हैं ।  परन्तु यह पर्याप्त नहीं हैं।

                     पूरा एक विकेंद्रीकृत प्रशासन की योजना है ,जो की ग्राम समूह या क्लस्टर के विकास पर आधारित है ।  यह दस से बारह गांवों के समूह में तीस से चालीस किलोमीटर के क्षेत्र के समग्र विकास की संकल्पना पर आधारित है।एक ‘पूरा' क्षेत्र में  दो लेन की सड़क,अस्पताल निर्माण, विद्यालय निर्माण, पेयजल की आपूर्ति,सिचाई के साधन विकसित करना,सीवरेज,स्ट्रीट लाइट वन क्षेत्र विकास,मिनी मार्केट और सिनेमा हॉल को विकसित करने की संभावना प्रस्तुत की गयी हैं ।  इसके लिए पूंजी का प्रबंधन करने के लिए निजी क्षेत्र को भी शामिल किया जा सकता है ।  क्लस्टर स्तर पर 5 से 10 करोड़ के निवेश पर अस्पताल और शिक्षा के केंद्र खोले जा सकते हैं । जो ग्रामीण क्षेत्रो में चिकित्सा और अच्छी शिक्षा प्रदान कर सकते हैं । ग्रामीण क्षेत्र में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,उच्च शिक्षा के कॉलेज और परिवहन के साधनों के द्वारा भी अतिरिक्त रोजगार पैदा किये जा सकते हैं ।

                                                                     पूरा की योजना क्षेत्रीय विकास और समन्वित ग्रामीण विकास की योजना हैं । सीवरेज, पेयजल,स्ट्रीट लाइट, सिंचाई के साधन आदि को विकसित कर न केवल रोजगार पैदा होगा अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत सुविधाएं मजबूतहोने से जीवन स्तर में भी सुधार होगा । इनके रखरखाव के लिए पंचायत स्तर पर मिलकर शुल्क निर्धारित किया जा सकता है ।  पूरा की योजना वास्तव में यदि लागू की जाती तो यह ग्रामीण भारत का कायाकल्प कर सकती हैं ।  इससे  ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन को रोका जा सकता हैं ।  इससे नगरों में बढती भीड़ ,प्रदूषण और झुग्गी-झोपड़ियो की समस्या को नियंत्रित किया जा सकता हैं । इस योजना से अतिरिक्त रोजगार पैदा किये जा सकते हैं जो ग्रामीण गरीबी को कम कर सकती हैं।

              ‘पूरा' विकास की अवधारणा भ्रष्टाचार मुक्त भारत की अवधारणा हैं ।  यह ग्रामीण स्वराज की अवधारणा हैं,जिसमे भ्रष्टाचार के लिए कोई स्थान नहीं हैं । ग्रामीण विकास को यथार्थ बनाने के लिए प्रत्येक पूरा क्षेत्र में एक बैंक को ऋण देने के लिए लीड बैंक के रूप में चुना जा सकता है।  प्रत्येक ‘पूरा' कलस्टर में मिनी मार्केट,स्थानीय उपज आधारित पैकेजिंग उद्योगों का विकास कर ग्रामीण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार उत्पन्न हो सकते हैं ।  इससे किसानों को उपज का पर्याप्त मूल्य मिलेगा ।  भारत में इस तरह के 6000 से 7000 पूरा क्लस्टर बनाए जा सकते हैं ।

                 अब समय आ गया हैं की विकास के नाम पर बड़े बड़े उद्योगोको दी जाने वाली टैक्स में छूट और प्रोत्साहन पर पुनः विचार किया जाना चाहिए । शहरों कीअनियंत्रित भीड़, गाँवों से श्रमिक पलायन,प्रदूषण इसी असंतुलित विकास के दुष्परिणाम हैं जो पश्चिम का अन्धानुकरण कर शहरों के विकास को ही विकास मानता हैं ।  इसने केवल गरीबी,बेरोजगारी और असंतुलन को ही पैदा किया हैं । आत्मनिर्भर भारत में इसके लिए कोई स्थान नहीं हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों के निर्माण और चिकित्सा का ढांचा मजबूत होने पर कोराना जैसी आपदा का सफलतापूर्वक सामना करने में भारत सक्षम बन सकता है ।  आत्मनिर्भर भारत के लिए ग्रामीण क्षेत्रो में निवेश समय की मांग हैं । शहर और ग्रामीण क्षेत्रो में विकास के गेप को दूर कर 68% ग्रामीण आबादी को विकास की मुख्य धारा से जोड़ना  आज की आवश्यकता हैं।

               पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे कलाम का ‘पूरा' मॉडल ग्रामीण स्वराज और विकेंद्रीकृत भारत आधारित है जो भ्रष्टाचारमुक्त, पर्यावरण संरक्षण और समग्र विकास की कल्पना को वास्तविक करता है । जिसका आधार सबका विकास सबका साथ है।  इस मॉडल से ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी, गरीबी, विकास के असंतुलन  का स्थायी समाधान है।  यह मॉडल गांधीजी के ग्राम स्वराज को वास्तविक बना सकता है । कोरोना और लॉकडाउन ने वास्तविक भारत के विकास का एक अवसर प्रदान किया है । नगरीय सुविधा से युक्त गाँव आज की आवश्यकता हैं । ग्रामीण भारत वास्तविक भारत है जिसके विकास के बिना भारत को आर्थिक शक्ति नहीं बनाया जा सकता है। 


 

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Dr. Hemant PandyaEducationist
INTERESTED IN SOCIAL,POLITICAL AND EDUCATIONAL MATTER

Comments

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    दिनेश कुमार शर्माREPLY

    निःसंदेह पुरा परियोजना की महत्ता को इंगित करता यह ब्लॉग वर्तमान भारत सरकार की नीतियों को इसकी और अग्रसर करने में मदद करेगा।

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    SangeetaREPLY

    Good article,सच्चाई बयां करता हुआ।

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